शायरी एक ऐसा हिंदी साहित्य का हिस्सा है जिसे हर कोई पढ़ना पसंद करता है। सबको शायरी से एक अनोखा लगाव होता है। और जो इंसान इन शायरी को एक बार पढ़ लेता है और दिमाग से समझ जाता है, यह उनके दिलों में बस जाती है।
और इन्हीं दिलों में बस जाने वाली Mirza Ghalib shayari को आज हम देखेंगे इस मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी पोस्ट में। शायरी हिंदी के साथ-साथ उर्दू भाषा से भी कई मेल रखती है। इतिहास के पन्नों में कई शायर आए और कई शायर गये। इन शायरों ने उर्दू में और हिंदी में यह शायरी लिखी और हमारे दिलों को खुश कर दिया। लेकिन इन कई शायरों में एक बहुत ही प्रसिद्ध शायर का नाम सोने के अक्षरों से लिखा गया है।
हमारे मन में जब भी शायरी के बारे में खयाल आता है सबसे पहले उसी शायर की तस्वीर हमारे दिमाग में बनती है। और वो कोई नहीं बल्कि सुप्रसिद्ध उर्दू शायर मिर्ज़ा ग़ालिब है। ग़ालिब ने 11,000 से अधिक फ़ारसी कविताएँ लिखी थीं और 1,700 से ज्यादा उर्दू कविताएँ लिखी थीं जो आज भी अगर हम पढ़े तो हमारा मन मोह ले। और इस पोस्ट में हमने इसी सुप्रसिद्ध और जिनकी शायरी हमारे दिलों में लगती है ऐसे शायर की शायरी के बारे में समझेंगे। और उनकी सबसे बेहतरीन Mirza Ghalib shayari देखेंगे।
लेकिन उससे पहले चलिए विस्तार से समझते हैं कि मिर्ज़ा ग़ालिब थे कौन।
मिर्ज़ा ग़ालिब: उनके जीवन और काव्य की एक दास्तान
मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू साहित्य की एक बहुत ही महान और जानी मानी शख्सियत है जिन्होंने उर्दू कविता और शायरी को एक नया दर्जा दिया है न केवल भारत या पाकिस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी शायरी से एक छाप छोड़ी है।
उन्होंने हमारे जीवन के सच का पर्दा खोला है और हमें जीवन का अर्थ बताया है अपनी शायरी और कविताओं के ज़रिए से। मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को दिल्ली में हुआ था। उनका असली नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ाँ था, परंतु उन्हें ‘ग़ालिब’ के रूप में ज्यादा पहचाना जाता हैं। उनके पिता मिर्ज़ा अब्बास ख़ाँ एक नवाब के सदर अमीर उल मुमिनीन रह चुके थे, और ग़ालिब भी एक उच्च ग़राने के ग़रीब ख़ानदान से संबंध रखते थे।
ग़ालिब ने बचपन से ही काफी कठिनाइयों का सामना किया था और उनकी जवानी बहुत संघर्षों से होकर गुज़री थी। जैसा कि हम उनकी शायरी से भी समझ सकते हैं क्योंकि उन्होंने ज्यादातर दुखद शायरी और दुखी कविताएं ही लिखी थीं। ग़ालिब ने अपनी शायरी और कविताओं से मनुष्य की काफी सारी भावनाओं का वर्णन किया है जैसे प्यार, दुख, आत्मविश्वास और मौत भी।
उनकी कविताओं और शायरी ने उन्हें उर्दू साहित्य में बहुत ऊचा दर्जा दिलवाया है और एक बहुत ही जानी-मानी शख्सियत बना दिया है। उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति और लोगों की जीवनशैली को बहुत गहराई से जोड़ा जाता हैं, जिसके कारण वे उर्दू साहित्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
उन्होंने काफ़ी संघर्ष देखे, जैसे उन्होंने काफ़ी बीमारियाँ देखी, ग़रीबी देखी, आर्थिक संकट देखे। उनके पिता की मौत के बाद उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और वे मजबूती से अपने और अपने परिवार के लिए देखभाल करने की कोशिश करते रहे।
इसके बावजूद, ग़ालिब ने कविताओं के माध्यम से अपने भावनात्मक और मानवीय संघर्षों को व्यक्त किया। उनकी मौत 15 फ़रवरी 1868 को हुई थी। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कई व्यक्तिगत और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया। उनकी कविताएँ आज भी सराही जाती हैं और लोगों के दिलों में सिर्फ़ एक बार पढ़ने से ही बस जाती हैं।
उनकी कविताएँ आज भी सभी लोगों को काफ़ी प्रभावित करती हैं। हम आपको शायरी के साथ-साथ बहुत ही सुंदर Mirza Ghalib shayari images भी प्रदान करते हैं, जिन्हें आप अपने स्टेटस और स्टोरी पर लगा सकते हैं।
हमने काफ़ी चीज़े जानी मिर्ज़ा ग़ालिब के बारे में। अब नीचे उनकी कुछ बेहतरीन Mirza Ghalib shayari पर नज़र डालते हैं:
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।।
ishq ne gaalib nikamma kar diya.
varna ham bhee aadamee the kaam ke.
तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान,झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर एतबार होता ..
Tere vaade par jiye ham
to yah jaan,jhooth jaana
ki khushee se mar na jaate
agar etabaar hota ..
तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..
Tum apane shikave kee baaten
na khod khod ke poochho
hazar karo mire dil se
ki us mein aag dabee hai..
तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’
तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
Tune kasam may-kashee kee khaee hai ‘gaalib’
teree kasam ka kuchh etibaar nahee hai..!
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
Mohabbat mein nahee phark jeene aur marane ka
Usee ko dekhakar jeete hai jis ‘kaafir’ pe dam nikale..!
ghalib shayari
मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
Marate hai aarazoo mein marane kee
Maut aatee hai par nahee aatee,
Kaaba kis munh se jaoge ‘gaalib’
Sharm tumako magar nahee aatee .
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
Khaan mayakhaane ka daravaaza ‘gaalib’ aur kahaan vaij
par itana jaanate hai kal vo jaata tha ke ham nikale..
बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..
Bana kar phakeeron ka ham bhes gaalib
Tamaasha-e-ahal-e-karam dekhate hai..
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।
Tere vaade par jiye ham, to yah jaan jhooth jaana,
Ki khushee se mar na jaate, agar etabaar hota .
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
Un ke dekhe se jo aa jaatee hai munh par raunaq.
Vo samajhate hain ki beemaar ka haal achchha hai..
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
Dil se teree nigaah jigar tak utar gaee.
donon ko ik ada mein razaamand kar gaee..
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।।
aah ko chaahie ik umr asar hote tak.
kaun jeeta hai tiree zulf ke sar hote tak..
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां।
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।।
Qarz kee peete the may lekin samajhate the ki haan.
Rang laavegee hamaaree faaqa-mastee ek din..
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में।
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।।
Kitana khauph hota hai shaam ke andheron mein.
Poochh un parindon se jinake ghar nahin hote..
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
Hain aur bhee duniya mein sukhan-var bahut achchhe.
Kahate hain ki gaalib ka hai andaaz-e-bayaan aur..
मिर्ज़ा ग़ालिब एक ऐसे शायर थे जिन्होंने पूरी दुनिया को अपनी कलम से अपना बना लिया है। उन्होंने उनकी कलम से अपनी एक नई और बहुत प्रसिद्ध पहचान बनाई है। आज हम सबको वो उनकी रचनाओं के कारण ही याद है। वैसे तो इतिहास में बहुत से शायर आकर चले गए लेकिन कुछ ही शायर हैं जिन्होंने पूरी दुनिया पर राज किया है अपनी कलम के ज़रिए।
उनमें सबसे पहला नाम और किसी का नहीं बल्कि ग़ालिब का ही आता है। ग़ालिब को इतिहास का सबसे अच्छा शायर कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा क्योंकि उनकी रचनाएँ आज भी इतनी सराही जाती हैं। उन्होंने मौत के विषय पर भी काफी शायरी लिखी है जिन्हें हमने इस पोस्ट में देखने की कोशिश करी है।
आज तक शायद ही कोई इतना अच्छा शायर आया होगा पूरी दुनिया में। जब हम आज भी इन Mirza Ghalib shayari को पढ़ते हैं तो हमें लगता है कि कोई था जो हमारे दिल के दर्द को महसूस कर सकता था और इन पन्नों पर हमारा दर्द समझा सकता था। जब हम आज भी Ghalib ki shayari पढ़ते हैं तो हमें समझ आता है कि ग़ालिब ने कितने सही तरीके से दर्द को साझा करा है।
अपनी कविताओं और शायरी से। आज हम शायद ही समझ पाए कि उस समय के ग़ालिब ने अपनी कलम से पूरी दुनिया का दर्द साझा किया है।
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
Hain aur bhee duniya mein sukhan-var bahut achchhe.
Kahate hain ki gaalib ka hai andaaz-e-bayaan aur..
mirza ghalib shayari hindi
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी।
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है।।
Rahi na taaqat-e-guftaar aur agar ho bhee.
To kis ummeed pe kahiye ke aarazoo kya hai..
शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई
सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए
Shahare vapha mein dhoop ka saathee nahin koee
Sooraj saron par aaya to saaye bhee ghat gae
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
Ishrat-ae-katra hai dariya me fana hi jana,
Dard ka hadd se guzrna hai dawa ho jana
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी
Mai Nadaan Tha Jo Wafa Ko Talaash Karta Rha Ghalib
Yh Na Socha Ke Ek Din Apni Saans Bhi Bewafa Ho Jayagi.
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछे,
तू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे !!
Mat Pooch Ki Kya Haal Hai Mera Tere Peeche,
Tu Dekh Ki Kya Rang Hai Tera Mera Aage !!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई !!
Rok Lo Gar Galat Chale Koi,
Baksh Do Gar Kahta Kare Koi !!
हम काफी मेहनत करके आपके लिए सबसे अच्छा कंटेंट लाते हैं, उसको सुंदर तरीके से एडिट करते हैं और फिर आपको काफी सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते हैं। आप इन शायरी को पढ़ सकते हैं और लोगों को डेडिकेट भी कर सकते हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब एक बहुत ही अच्छे शायर थे, उन्होंने काफी प्यारी कविताएं और शायरी लिखी थी। उन्होंने उर्दू भाषा को एक नए तरीके से और नए स्तर पर प्रस्तुत किया था।
हम ग़ालिब के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने इस दुनिया को इतना प्यार और सीधा दिल को छूने वाली शायरी प्रदान की। हम आशा करते हैं आपको यह Mirza Ghalib shayari पसंद आई होगी, हम आपसे वादा करते हैं कि आपको ऐसा ही सुंदर कंटेंट प्रदान करते रहेंगे।
आप नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी पसंदीदा शायरी लिख सकते हैं और हमें भेज सकते हैं, उससे हमें भी मालूम पड़ेगा कि आपको किस तरह की शायरी पढ़ना पसंद है। आप हमें कमेंट में बता सकते हैं कि आपको अगली किस प्रसिद्ध शायर की शायरी या कविता पर पोस्ट चाहिए।
धन्यवाद
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