आज के इस दौर में हर बच्चा रहीम दास जी के बारे में जानता है। और आज हम उन्हीं बहतरीन Rahim ke dohe पर नज़र डालने वाले हैं। रहीम दास जी बहुत ही सुप्रसिद्ध संत और कवि थे। उन्होंने अपने ज़माने में बहुत से दोहे लिखे जो आज भी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है। रहीम दास जी का जन्म 1532 में दिल्ली में हुआ था और उस समय बादशाह हुमायूँ का राजपाठ था। उनकी मृत्यु 1608 हुई। रहीम दास जी का पूरा नाम अब्दुर रहीम ख़ान-इ-ख़ानान था और उनकी रचनाओं में उनको “रहीम” नाम से पुकारा जाता है। और पूरी दुनिया जो भी उनके दोहे जानते और पढ़ते हैं, वो उनको रहीम नाम से ही जानते हैं।
रहीम दास जी संत और कवि ही नहीं बल्कि एक विद्वान और दानवीर भी थे। रहीम दास जी के पिता महान शासक अकबर के शिक्षक थे। और जब 1561 में उनकी मृत्यु हुई तो अकबर ने ही रहीम दास जी का पालन-पोषण किया। और उनको अपने बेटे के समान बड़ा किया, जिस समय रहीम सिर्फ़ 5 वर्ष के थे तभी उनको अपने पिता की मृत्यु का सामना करना पड़ा। उनकी मृत्यु के पहले ही रहीम दास का मकबरा बन चुका था और उनकी दिली ख्वाहिश थी के उन्हें उनकी पत्नी के पास में ही दफ़्न किया जाए। और ऐसा ही हुआ, जब रहीम दास जी की मृत्यु 70 साल की उम्र में हुई तो उन्हें उनकी इच्छा अनुसार अपनी पत्नी के पास ही दफ़्नाया गया। यह बात एक तरह से उनका, उनकी पत्नी की तरफ प्यार दर्शाता है।
रहीम के प्रसिद्ध दोहे
रहीम ने अपने पूरे जीवन में कई सारे दोहे लिखे जो हमें बहुत कुछ सिखाते हैं और हमें बताते हैं कि एक अच्छा और सफल जीवन किस प्रकार जिया जाए। रहीम दास जी ने अपने कई दोहों में रामायण और महाभारत के संदर्भ मैं लिखे, उनमें से एक दोहा है:
जेहि ‘रहीम’ मन आपनो कीन्हो चारु चकोर।
निसि-वासर लाग्यो रहे, कृष्ण चन्द्र की ओर ॥
इसमें रहीम ने कृष्ण जी का नाम लिया है जो बताता है कि रहीम दास जी भगवान में मानते थे और उनको हिंदू संस्कृति से बहुत लगाव था। रहीम दास जी को आज तक के समय के महान पुरुष कहना गलत नहीं होगा। जो समाज ठीक करने की शक्ति Rahim ke dohe रखते वो शायद ही कोई और हिंदी साहित्य की रचना रखती होगी। यही एक बहुत बड़ा कारण है कि आज भी Rahim ke dohe सुनने के लिए लोग गूगल पर सर्च करते हैं। और आप भी आज शायद इसी के लिए यहाँ इस पोस्ट पर आए हैं। और मैं आपको बता दूं कि आप बिल्कुल सही जगह हैं अगर आपको Rahim ke dohe देखने हैं तो।
रहीम ने मुख्य रूप से दो भाषाओं में अपने दोहे लिखे हैं और वो हैं अवधी और ब्रजभाषा। और एक बात है कि जिस प्रकार Rahim ke dohe इन दोनों भाषाओं में अच्छे लगते हैं, वो और कोई भाषा में नहीं लगते। हम शायद बहुत कुछ जान चुके हैं प्रसिद्ध रहीम दास जी और Rahim ke dohe के बारे में।
तो चलिए अब सीधा ही हम Rahim ke dohe की तरफ बढ़ते हैं। हमने इस पोस्ट में आपको Rahim ke dohe प्रदान किए हैं। हमने बिल्कुल उस तरफ से आपको दोहे पेश किए हैं जिस प्रकार रहीम दास जी ने इन्हें लिखा था। लेकिन जैसा कि हमने ऊपर समझाया कि रहीम के दोहे मुख्य तौर पर अवधी और ब्रजभाषा में हैं। बहुत से लोगों को दोहे समझने में दिक्कत होगी। इसलिए हमने Rahim ke dohe के साथ आपको उनका हिंदी अर्थ भी दिया है जो आपको इनको समझने में मदद करेगा। और आप आसानी से इन्हें समझ पाएंगे। तो चलिए अब बिना देर किये Rahim ke dohe पर नज़र डालते हैं।
कहि रहीम इक दीप तें, प्रगट सबै दुति होय।
तन सनेह कैसे दुरै, दृग दीपक जरु दोय॥
रहीम कहते हैं कि जब एक ही दीपक के प्रकाश से घर में रखी सारी वस्तुएँ स्पष्ट दीखने लगती हैं, तो फिर नेत्र रूपी दो-दो दीपकों के होते तन-मन में बसे स्नेह-भाव को कोई कैसे भीतर छिपाकर रख सकता है! अर्थात मन में छिपे प्रेम-भाव को नेत्रों के द्वारा व्यक्त किया जाता है और नेत्रों से ही उसकी अभिव्यक्ति हो जाती है।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।
रहीम दास कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु को नहीं फेंकना चाहिए। क्योंकि जहां पर छोटी सी सूई काम आती है, वहां तलवार कुछ नहीं कर सकती।
छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात ।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात ॥
रहीम दास जी कहते हैं कि बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। छोटे अगर उत्पात मचाएं तो उनका उत्पात भी छोटा ही होता है। जैसे यदि कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात मारे भी तो उससे कोई हानि नहीं होती।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
रहीम दास जी कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
संत रहीम दास जी कहते हैं कि दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
रहीम दास जी कहते हैं कि ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।
रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुहँ स्याह
नहीं छलन को परतिया, नहीं कारन को ब्याह
थोड़े दिन के लिए कौन अपना मूंह काला करता हैं क्यूंकि पर नारी को ना धोखा दिया जा सकता हैं और ना ही विवाह किया जा सकता है.
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
रहीम दास जी कहते हैं कि जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।
जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
इस दोहे में रहीम दास जी कहते हैं कि जो गरीब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना है।
बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
संत रहीम जी कहते हैं कि जब ओछे लक्ष्य के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने पर्वत को उठाया था तो उनका नाम ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
रहीम जी कहते हैं कि एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए केवल परमात्मा में ही ध्यान लगाना चाहिए.
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥
संत रहीम जी कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका फल इतना दूर होता है कि तोड़ना मुश्किल का काम है।
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।
बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥
अपने मन से अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को खुशी हो और खुद भी खुश हों।
रहिमन उजली प्रकृति को नहीं नीच को संग
करिया वासन कर गहे कालिख लागत अंग ।
अच्छे लेागों को नीच लोगों की संगति नही करनी चाहिये । कालिख लगे बरतन को पकड़ने से हाथ काले हो जाते हैं। नीच लोगों के साथ बदनामी का दाग लग जाता है।
रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय |
हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय ||
रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।
आज रहीम दास जी तो नहीं हैं, लेकिन उनके प्रसिद्ध दोहे आज भी हमारे दिल में बसे हुए हैं और हमारा जीवन सुधारने की ताकत रखते हैं। हमारे भारत के शिक्षा विभाग ने इन Rahim ke dohe को अपनी नवी कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में भी जोड़ रखा है। हमें यह जानकर काफी खुशी और गर्व होता है कि हमारा शिक्षा विभाग इतने कारिगर Rahim ke dohe को बच्चे-बच्चे को पढ़ने की प्रेरणा देता है।
हमने इस पोस्ट में सुप्रसिद्ध Rahim ke dohe पर नज़र डाली है। हमने काफी मेहनत करके इन्हें खोजा है, इनका अनुवाद भी बनाया है और फिर अंत में इन्हें काफी सुंदर तरीके से आपको पेश किया है। हम आशा करते हैं आपको ये Rahim ke dohe, हिंदी अर्थ के साथ पसंद आए होंगे। अगर आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आई तो आप इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें और उनको भी Rahim ke dohe पढ़ने का मौका दें। आप नीचे कमेंट बॉक्स में अपना पसंदीदा दोहा बता सकते हैं और हमें और अच्छा बनने में मदद कर सकते हैं अपनी प्रतिक्रिया देकर। आप हमारी और पोस्ट्स पर भी नज़र डाल सकते हैं जो आपनो निश्चित रूप से बहुत पसंद आएगी।
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शुक्रिया।