आज की इस विशेष पोस्ट में हम और कोई नहीं बल्कि जाने माने और प्रसिद्ध Tulsidas ke Dohe देखने जा रहे हैं। हम सभी तुलसीदास को जानते होगे, उनकी रचनाओं और उनकी प्रसिद्धता की वजह से।
तुलसीदास मुख्य रूप से संत और कवि थे। उन्होंने अपना काम मुख्य तौर पर संस्कृत, अवधी और ब्रज भाषा में किया था। वे श्री राम के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने “रामचरित्रमानस” और हनुमान चालीसा लिखी थी। रामचरित्रमानस श्री राम की जीवन कथा है जो तुलसीदास ने संस्कृत रामायण को वापस से लिखा था। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा और सबसे पसंद किया जाने वाला कार्य है और आज भी सभी लोगों को उनके इस कार्य पर गर्व है। उन्होंने इन महान कार्य के साथ-साथ कविताएँ और दोहे भी लिखे थे। आज की इस पोस्ट में हम विशेष तौर से Top 10 Tulsidas ke Dohe देखेंगे।
लेकिन उससे पहले चलिए हम थोड़ा और जान लेते हैं गोस्वामी तुलसीदास के बारे में। जिससे हम उनके दोहे से और जुड़ पाएंगे और हमें ज्ञान मिलेगा।
तुलसीदास और उनका जीवन
गोस्वामी तुलसीदास का बिलकुल सही जन्मस्थान बताना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि उनके जन्मस्थान को लेकर बहुत से मत रखे जाते हैं। लेकिन ज्यादातर विद्वान और जानकार लोग बताते हैं कि तुलसीदास का जन्म सोरों शुक्रशेत्र, जनपद कासगंज, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। कुछ जोग राजापुर, चित्रकूट को भी तुलसीदास का जन्मस्थान बताते हैं। लेकिन इन मतों को देखते हुए कुछ भी बात पूरे आत्मविश्वास से कहना सही नहीं होगा।
तुलसीदास की रचनाएँ देखकर ऐसा लगता है कि श्री राम का उनके उपर वरदान था। क्योंकि जिस प्रकार उन्होंने अपनी रचनाओं के ज़रिए अपनी भक्ति और प्रभु श्री राम के लिए अपना प्यार दर्शाया है, वह अतूत है। ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास ने प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के दर्शन खुद अपनी आँखों से कर रखे थे।
तुलसीदास की रचनाएँ सिर्फ उस समय की ही नहीं बल्कि आज के समय की भी मानवता के लिए बहुत अच्छी मानी जाती हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारी संस्कृति और श्री राम के लिए प्यार दर्शाती हैं। Tulsidas ke Dohe भी एक बहुत अच्छा संदेश देते हैं इस पूरी दुनिया को।
तुलसीदास जब काशी के एक मशहूर घाटब असीघाट पर रहने लगे तो एक रात कलियुग मूर्ति रूप से उन्हें पीड़ा पहुँचाने लगा। तब उन्होंने हनुमान जी का सच्चे मन से ध्यान किया और कहा जाता है कि हनुमान जी सचमें उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें प्रार्थना का पद रचने को कहा। उन्होंने उस पद को लिखा और भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया।
श्री राम ने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए और तुलसीदास को निर्भय कर दिया। और तुलसीदास की मृत्यु राम-राम कहते हुए हो गई।
Tulsidas ke Dohe
संत तुलसीदास ने बहुत सी रचनाएँ की हैं। और Tulsidas ke Dohe उन रचनाओं में से एक है, उनकी रचनाओं में केवल भक्ति से संबंधित कार्य ही नहीं बल्कि बहुत सारी आम जीवन जीने के लिए उपयोगी बातें भी हैं। जैसे उनके दोहे हैं जिसमें आम जीवन जीने के कई सारे मंत्र हैं और हमें काफी अच्छी शिक्षा भी देते हैं। तुलसीदास के दोहे हम सभी कई बारसों से उपयोग कर रहे हैं और हमारे जीवन को और अच्छा बनाते जा रहे हैं।
शायद हम बहुत कुछ जान चुके हैं तुलसीदास, उनकी राम भक्ति और साथ ही में Tulsidas ke Dohe के बारे में भी। अब हमें सीधा ही तुलसीदास के दोहे पर नजर डालनी चाहिए। हमने काफी मेहनत करके इन सदियों पुराने लिखे गए तुलसीदास के दोहे को ढूंढने में काफी मेहनत लगी है। उम्मीद है आपको ये दोहे काफी पसंद आएंगे। हमने साथ ही में Tulsidas ke Dohe का अर्थ भी लिखा है हिंदी में, जो आपको इन दोहों को समझने में सहायता करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।
नेक जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।
तुलसीदास जी कहते है कि जो मेरा शरीर है पूरा चमड़े से बना हुआ है जो कि नश्वर है। फिर इस चमड़े से इतना मोह छोड़कर राम नाम में अपना ध्यान लगाते तो आज भवसागर से पार हो जाते।
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोड़िये जब तक घट में प्राण।।
तुलसी दास जी कहते है कि धर्म दया भावना से उत्पन होता है और अभिमान जो की सिर्फ पाप को ही जन्म देता है। जब तक मनुष्य के शरीर में प्राण रहते है तब तक मनुष्य को दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहूँ जौं चाहसि उजिआर।।
तुलसीदास जी कहते है कि हे मनुष्य यदि तुम अपने अन्दर और बाहर दोनों तरफ उजाला चाहते हो तो अपनी मुखरूपी द्वार की जीभरुपी देहलीज पर राम नाम रूपी मणिदीप को रखो।
लसी पावस के समय, धरी कोकिलन मौन।
अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन।।
तुलसी दास जी इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जब बारिश का मौसम होता है तो मेढ़कों के टर्राने की आवाज इतनी तेज हो जाती है कि उसके सामने कोयल की भी आवाज कम लगने लगती है। अर्थात् उस कोलाहल में दब जाती है और कोयल मौन हो जाती है। इसी प्रकार जब मेढ़क जैसे कपटपूर्ण लोग अधिक बोलने लग जाते हैं, तब समझदार लोग अपना मौन धारण कर लेते हैं। वो अपनी ऊर्जा को व्यर्थ नहीं करता।
सरनागत कहूं जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावंर पापमय तिन्हहि बिलोकति हानि।।
जो व्यक्ति अपने अहित का अनुमान करके शरण में आये हुए का त्याग कर देते है वे क्षुद्र और पापमय होते है। इनको देखना भी सही नहीं होता है।
काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान।।
तुलसीदास जी कहते है कि जब तक किसी भी व्यक्ति के मन कामवासना की भावना, लालच, गुस्सा और अहंकार से भरा रहता है तब तक उस व्यक्ति और ज्ञानी में कोई अंतर नहीं होता दोनों ही एक समान ही होते है।
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ और।
बसीकरण इक मन्त्र हैं परिहरू बचन कठोर।।
तुलसीदास जी कहते है कि मीठे वचन सही ओर सुख को उत्पन करते है ये सभी और सुख ही फैलाते है। तुलसीदास जी कहते है कि मीठे वचन किसी को अपने वस में करने के अच्छा मन्त्र है। इसलिए सभी लोगों को कठोर वचन को त्यागकर मीठे वचन अपनाने चाहिये।
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।।
तुलसी दास जी कहते है कि शूरवीर तो युद्ध के मैदान में वीरता का काम करते है कहकर अपने को नहीं जानते। शत्रु को युद्ध में देखकर कायर ही अपने प्रताप को डींग मारा करते है।
सुख हरसहिं जड़ दुख विलखाहीं, दोउ सम धीर धरहिं मन माहीं।
धीरज धरहुं विवेक विचारी, छाड़ि सोच सकल हितकारी।।
इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि सुख के समय मुर्ख व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं और दुःख के समय रोने और बिलखने लग जाते हैं। धैर्यवान व्यक्ति चाहे सुख हो या फिर दुःख हर समय उनका व्यवहार अच्छा और एक समान ही रखते हैं। जबकि धैर्यवान लोग बूरे समय का डटकर सामना करते हैं।
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होई बेगिहीं नास।।
तुलसीदास जी कहते है कि यदि गुरू, वैद्य और मंत्री भय या लाभ की आशा से प्रिय बोलते है तो धर्म, शरीर और राज्य इन तीनों का विनाश शीघ्र ही तय है।
हमने आपको ऊपर दिखाएं कुछ बेहतरीन और बहुत काम आने वाले १० सबसे अच्छे Tulsidas ke Dohe। उम्मीद है आपको पसंद आए होंगे और आप इनको सभी के साथ शेयर भी करेंगे। हमने काफी मेहनत करी है इन Tulsidas ke Dohe को खोजने में और एडिट करके आपको प्रदान करने में। उम्मीद है आप इन दोहों को समझकर उनके अंदर की लाभ देने वाली बात को समझेंगे और अपने जीवन में इसका अच्छे से इस्तेमाल भी करेंगे।
अगर आपको हमारी यह “Tulsidas ke Dohe” पोस्ट पसंद आई होतो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में अपने विचार लिख सकते हैं। साथ ही में आप अपने पसंदीदा दोहे भी लिख सकते हैं। आप हमारी और पोस्ट पर भी नजर डाल सकते हैं।
- Rahim ke Dohe
- Article on Mahadevi Verma
- Article on Suryakant tripathi Nirala
- Jhaansi ki rani par kavita
- Best sher shayari
धन्यवाद।